Singh

कौन था वह जिसने तेरा
अद्भुत यह सांचा ढाला?
किन अंधेरों और आसमानों में
जली इन नेत्रों की ज्वाला?

रात के जंगलों में उद्दीप्त
थे कौन वे पंख अमर
जिनकी कल्पनाओं में उड़कर
उसने एक दर्शन पाला?

क्या वे हाथ थे? क्या थी वह कला?
जिसने तेरे दिल को जोड़ा?
और जब हृदय धड़कने लगा
लिए विध्वंस की हाला?

क्या वह भय की पकड़ थी?
क्या उन पंजों की जकड़ थी?
क्या वह लोहा? क्या हथौड़ा?
भट्टी के उर में डाला?

जब तारों ने रोते-रोते
फेंक दिया अपना भाला,
क्या तुझे बनाकर भी मुस्कराया
प्रेम-पिता वह भोला-भाला?

कौन था वह जिसने तेरा
अद्भुत यह सांचा ढाला?
किन अंधेरों और आसमानों में
जली इन नेत्रों की ज्वाला?

(ब्लेक की कविता ‘दी टाइगर’ से अनुदित)

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