Rangon ka Rag

रंगों का राग है
सुर दिखने से लगे
पारदर्शी हुए सभी
रोशनी से ठगे
इस पूर्ण पारदर्शिता में
मैं भी ना रहा
सिर्फ़ तुम जगे

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