Chutti ke Din

छुट्टी के दिन
छुट्टी के दिन
याद हैं मुझको छुट्टी के दिन

जून की गर्मी में भी कैसे
दौड़ा करते थे लुक-छिप कर
कंचे और गूंदों के पैसे
जेब ठसाठस भर के

प्याऊ पर हम ओक बनाते
बेरों की जंगली लूट मचाते
याद है तुमको पानी का स्वाद
सौंफ के पत्ते खाने के बाद?

छुट्टी के दिन
याद हैं मुझको छुट्टी के दिन

चन्दा मामा की रातों में
सुनते थे नानी से किस्से
डरते थे भूतों से फिर भी
फिरते थे बरगद के नीचे

सोते थे मच्छरदानी में
छत पे खुले आसमान के नीचे
जूट की चुभती खाटों पे और
लकड़ी के पाटों पे

छुट्टी के दिन
याद हैं मुझको छुट्टी के दिन

खस की मीठी खुशबू में
और लीची के शरबत में
गीली मिट्टी में फिर कैसे
भीगा करते थे नन्हें मन

याद है कैसे गिनते थे दिन
बचते कितने छुट्टी के?
चुटकी में फिर आ जाते थे
कॉपी और बस्तों के दिन

छुट्टी के दिन
याद हैं मुझको छुट्टी के दिन

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