Eshwar

तुम जो सभी निम्न संसारों में व्याप्त हो,

फिर भी ऊपर विराजमान हो,

कर्मियों, ज्ञानियों और सम्राटों पर राज करने वाले,

प्रेम के चाकर!

तुम जो कीड़े को भी तुच्छ नहीं समझते,

ना ही मिट्टी के ढेले को,

तभी हम इस दीनता से जान पाते हैं

कि तुम हो ईश्वर

(श्री अरविन्द की कविता ‘गौड’ से अनूदित)

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